हाई-सिक्यॉरिटी विशेषता से लैस कारों पर भूलकर भी न करें भरोसा

अध्ययन में पता चली ये बात
इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट फॉर हाईवे सेफ्टी और एमआईटी के एज प्रयोगशाला द्वारा एक महीने तक भिन्न-भिन्न वालेंटियर्स पर किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि असिस्ट सिस्टम का आदी होने के बाद ड्राइवर कार चलाने के दौरान सुरक्षा मानकों पर पहले जितना ध्यान नहीं दे रहे थे। ज्यादातर ड्राइवर्स सेफ्टी विशेषता पर आवश्यकता से अधिक भरोसा करते हुए भी देखे गए, जिससे उनका ध्यान भी कई बार भटकता हुआ नजर आया। इस अध्ययन के लिए अडॉप्टिव क्रूज़ कंट्रोल से लैस रेंज रोवर इवोक और पाइलट असिस्ट से लैस वोल्वो S90 कार का प्रयोग किया गया था।
अध्ययन में पाया गया कि शुरूआत में ड्राइवरों ने सेफ्टी विशेषता पर पूरा भरोसा न करते हुए स्वयं की ड्राइविंग पर भरोसा किया लेकिन समय बीतने के साथ ड्राइवरों का ध्यान भटकने लगा। IIHS के सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट इयान रीगेन ने कहा, "अध्ययन की शुरूआत में और पाइलट असिस्ट का इस्तेमाल करने के बाद ड्राइवरों का ध्यान भटकने की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई"।
सेफ्टी विशेषता पर न करें आंख मूंदकर भरोसा
इस अध्ययन में देखा गया कि टेस्ला के ऑटोपायलट, कैडिलैक के सुपर क्रूज और मर्सिडीज बेंज के इंटेलिजेंट ड्राइव की ही तरह वोल्वो के पायलट असिस्ट सिस्टम के भरोसे कार से ड्राइवर को अभी भी रिप्लेस नहीं किया जा सकता है। असली दुनिया की परिस्थितियों के साथ ढलने में इस सेफ्टी सिस्टम को अभी बहुत समय लगेगा। क्योंकि यह सिस्टम गाड़ी की स्पीड और स्टियरिंग को कंट्रोल करती है, इसलिए कई बार ड्राइवर इन पर आवश्यकता से अधिक भरोसा कर लेते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि गाड़ी में चाहे जितने भी सेफ्टी विशेषता होने के दावा किया जाए लेकिन उन पर आंख बंद करके विश्वास करना ठीक नहीं है क्योंकि यहां बात आपकी सेफ्टी की है।